थिएटर इन एजुकेशन सही मायने में है क्या ??? एक सर्वे के हिसाब से पाया गया है की ,६०% लोग ऐसे है की जिन्हे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है ,वह थिएटर को फिल्म देखने वाला टाकिज़ या मल्टीप्लेक्सेक्स के नाम से हीजानते है.बचे ४०% में से २०% लोग ऐसे भी है जिन्हे इसके बारे में पता तो है , मगर वो इस तक पहुंच नही पा रहे है.और बाकि के लोग वो है जो ,थिएटर से लोगो को जोड़ना और जागरूक करना चाह रहे है,मगर उनके असफल प्रयास हमारे सामने है .इस मायने में थिएटर इन एजुकेशन बहुत ही कारगर सिद्ध हो सकता हो सकता.आज हर इंसान शिक्षा से जुड़ना चाहता है ,तो उसी के साथ थिएटर को जोड़ना एक ऐसा सफल प्रयास है जो बच्चो से लेकर हर उम्र वालो के एक नयी राह दिखाएगा.वैसे थिएटर सही रूप में है क्या ?? थिएटर हमें वो सब कछ सिखाता है ,जिससे हम विलुप्त होते जा रहे है.हमारा शरीर कला ,रचनात्मकता और ऐसी अन्य करिगरियो ये भरा पड़ा है. हर इंसान को अपने आप को पहचानना जरुरी है.इसके खास फायदे ये है की ,ये हमें अत्यधिक सहस प्रदान करता है ,जिससे हमारे वाद विवाद ,बॉडी लेंग्वेज ,हमारे बात करने का ढंग , समाज के प्रति जागरूकता ,नयी सोच ,ग्रुप में मिल जुल कर कार्य करना ,अन्य कई फायदों से रूबरू करता है , जिनसे शायद कई लोग जीवन भर परे रह जाते है .पढाई के साथ साथ खेल कूद से लेकर बच्चो की रचनात्मकता को बहार निकालने के लिए इससे सफल प्रयास और कोई नही हो सकता.
1 comment:
आपकी पहल को सलाम।
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